आयुर्वेद में पत्थरचट्टा एक दिव्य औषधि है जो पथरी के  उपचार में  रामबाण औषधि के तौर पर मानी जाती है।

पत्थरचट्टा के पके हुए पीले पत्तों को गर्म करके रस  निकालें और इस रस को कान में डालने से  कान के बहने और कान दर्द की समस्या दूर होती है

कान के दर्द में

पत्थरचट्टा की दो से चार पत्तियों को सुबह और शाम चबाकर खाने से या फिर इन पत्तों का रस निकालकर पीने से पथरी निश्चित रूप से जड़ से दूर होती है

पथरी में

पत्थरचट्टा की दो तीन पत्तियों को नियमित रूप से सेवन करने से उच्च रक्तचाप  कंट्रोल में रहता है।

हाई ब्लड प्रेशर मैं

प्रभावित स्थान पर दर्द नाशक तेल लगाकर इसकी पत्तियों को गर्म कर दर्द वाले स्थान में बांधने से सूजन और दर्द में लाभ होता

सूजन में

इसकी दो तीन पत्तियों को नियमित सेवन करना चाहिए इससे मूत्र रोग की समस्या दूर होती है और पथरी में भी लाभ मिलता है।

मूत्र रोग में

पत्थरचट्टा एक बहुत ही  दिव्य और उपयोगी औषधि है। इसकी सही जानकारी और इस्तेमाल से कई प्रकार के रोगों को ठीक किया जा सकता है

Patharchatta Plant Benefits in Hindi