थूहर (सेहुंड) के इन फायदों से अंजान हे सभी।
थूहर (सेहुंड) के इन फायदों से अंजान हे सभी।
थूहर को सभी ने देखा होगा। यह कांटेदार पौधा, होने के कारण थूहर का प्रयोग आम तौर पे अधिकतर गाओं जैसे इलाके में बाड के रूप में किया जाता है। थूहर को सेहुंड के नाम से भी जाना जाता है।
जैसे की आप जानते हैं थूहर (सेहुंड) का उपयोग बाड़ के रूप में किया जाना है।
मगर थूहर के औषधीय गुण के बारें में नहीं जानते होंगे। थूहर के पत्ते, तना और दूध में कई सारे औषधीय गुण होते है।
इनका प्रयोग कई सारी बिमारियों को ठीक करने में उपचार हेतु किया जाता है। तो चलिए इस लेख में हम विस्तार से थूहर (सेहुंड) के बारें में जानते है।
तो फिर देरी किस बात की शुरू करते है हमारा आज का महत्त्व पूर्ण विषय थूहर (सेहुंड) के इन फायदों से अनजान हे सभी।
और जानिए >>
(थूहर ) सेहुंड क्या है :
(थूहर ) सेहुंड एक तरह का काँटों नुमा पौधा है। हो सकता है, आप इसी किसी और नाम से जानते हो। इसकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
यह पौधा भी अन्य वनस्पतियों की तरह कई रोगों को दूर करता है। इसकी पहचान आप आसानी से कर सकतें है। आईये जानते है इसकी पहचान कैसे करें।
(थूहर ) सेहुंड के पत्ते :

(सेहुंड) थूहर की पहचान :
(सेहुंड) थूहर का वैज्ञानिक नाम Euphorbia neriifolia है। थूहर की पहचान जैसे की मेंने बताया आसान है। मगर जो यह नहीं जानते सेहुंड का पौधा कैसा होता है।
तो आपकी जानकारी के लिए बतादूँ (सेहुंड) थूहर का पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है। इसे अधिकतर बाग, बगीचों और खेतों की बाड़ के रूप में लगाया जाता है।
इसके संपूर्ण पौधे पर कांटे ही कांटे होते हैं। थूहर के पत्ते ठंड और गर्मी के मौसम में झड़ जाते हैं। इस पौधे की पहचान के लिए बतादूँ के इस पौधे को कहीं पर भी तोड़ने या काटने पर सफेद रंग का दूध निकलता है।
इस पर गुच्छों में काफी सारे छोटे - छोटे लाल रंग के फूल लगते हैं। यह फूल कहीं - कहीं पर पिले रंग के भी हो सकते हैं।
(सेहुंड) थूहर के फायदे और औषधीय प्रयोग :
कान के दर्द में लाभ देता हे थूहर :
कान में दर्द की समस्यां में इसकी एक टहनी को तोड़कर आग में पकाकर फिर उसका रस निकाल कर रख लें इस रस को कान में डालने से कान से जुड़े समस्त रोग और कान का दर्द ठीक हो जाता है।
थूहर का तेल कैसे बनाएं :
थूहर (सेहुंड) का तेल बनाने के लिए थूहर का दूध और सरसों के तेल दोनों को समान मात्रा में लेकर जब तक दूध पूरी तरह जल जाए तन तक पकाएं।
अब जो बचेगा वो थूहर का तेल ही होगा। इस तेल को थड़ा करके और छानकर रख लें। यह तेल बहरापन दूर करने के लिए विशेष गुणकारी होता है।
पुराने घांव में चमत्कारी है थूहर का प्रयोग :
पुराने से पुराने या नए घांव ठीक नहीं हो रहे तो इस समस्यां में थूहर के पत्ते आक के पत्ते, करंज और चमेली के पत्तों को सामान मात्रा में लेकर गोमूत्र के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं और इस लेप को घांव पर लगाते रहे, से कुछ दिनों में पुराने से पुराने घांव ठीक होने लगते हैं। इस प्रयोग से बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं।
खांसी में भी लाभकारी है थूहर के उपयोग :
खांसी में थूहर का उपयोग करने के लिए थूहर के पत्तों को आग पर गर्म करके मसलकर रस निकाल कर और इस रस में नमक मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में पिलाने से खांसी ठीक हो जाती है।
सूजन ठीक होती हे थूहर के उपयोग से :
सूजन की किसी भी प्रकार की सम्सयान होने पर थूहर का दूध निकाल कर लगाने से सूजन दूर होती है।
चर्म रोगों में अति लाभकारी है थूहर :
सभी प्रकार के चर्म रोगों को दूर करने के लिए सेहुंड के दूध में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
थूहर (सेहुंड) के नुक्सान :
यदि थूहर (सेहुंड) का खाने में खाने में प्रयोग करना हो तो किसी डॉक्टर या वैध की सलाह लेकर ही प्रयोग करें। खाने में यह तीक्ष्ण होता है।
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तो देखा आपने साधारण से थूहर (सेहुंड) हमारे लिए कितना उपयोगी और फायदेमंद है।
इस लेख में आपने (थूहर (सेहुंड) के फायदे के बारें में जाना। आशा करता हूँ आपको थूहर (सेहुंड) औषधीय गुण और इसके फायदे के साथ साथ थूहर (सेहुंड) का उपयोग के विषय में जानने मिला।
यदि आपका थूहर (सेहुंड) से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो निचे कमैंट्स में हमें जरूर बताएं।
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